the Indian pilgrimage sites, why is the identity pride existence and self respect of India
हमारा भारत अनादि काल से संस्कृति, आस्था, आस्तिकता और धर्म का महा देश रहा है। भारत का धर्म और समाज, शिक्षा और सभ्यता, आचारानुष्ठान- सभी कुछ ऋषियों द्वारा उपलब्ध सत्य की नींव पर खड़े हैं एवं वैज्ञानिक है , थोथे अन्धविश्वाश पर आधारित यहाँ कोई भी कार्य अथवा आचार नही है ।

हमारे यहाँ विभिन्न राज्यों ,शहरों अथवा गाँवो में देवी देवताओ से संबंधित अनेकानेक प्राचीन एवं नवीन तीर्थस्थान है ! जो कि ऋषियों और सिद्धों की साधना भूमि रहे हैं।
ये स्थान महान आध्यात्मिक तथा तप:शक्ति के अक्षय केंद्र हैं। यही वजह है कि भारत के तीर्थस्थानों के साथ सभी भारतीयो का अटूट संबंध है। इस संबंध को तोड़ने की हिम्मत किसी में नहीं है। एक ओर इन तीर्थों तथा सिद्धपीठों से भारतीय नर-नारियों का संबंध तोड़ना कठिन है, उसी प्रकार संबंध-टूटने पर भारत का पतन अनिवार्य है।

कारण कि भारत में सत्यता पर आधारित आस्था संस्कृति सब नष्ट हो जाएगी । आज हम देखते है कि बाहरी पश्चिमी देशो कि शिक्षा सभ्यता पर विशवास करने वाले लोग विलासिता और भौतिकवाद के कारण शांति और पवित्रता कि लालसा में इन तीर्थस्थानों कीऔर बड़े उत्साह से दौड़ते है|
ये स्थान हमें शांति, पवित्रता, आनंद, सकारात्मक ऊर्जा एवं उत्साह प्रदान कर | हमारे मृत जीवन के लिए संजीवनी का काम करते है ।

अतः इससे सिद्ध होता है कि ये स्थान हमरी अमूल्य धरोहर है| जिनकी स्थापना के उद्देश्य और कारन के बारे में हम सभी देशवासियो जरूर जानना चाहिए एवं सभी प्रयासों के साथ इनका उचित रखरखाव तथा रक्षा करनी चाहिए|

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मेरी आने वाली पोस्ट – तीर्थ का वास्तविक अर्थ, हिन्दू सनातन संस्कृति में तीर्थ किसे कहते है !