श्री बांके बिहारी जी का मंदिर वृंदावन (banke bihari temple vrindavan) में स्थापित है वह अपने आप में ही अद्भुत है और अपने साथ कई सारे रहस्य को समेटे बैठा है श्री बांके बिहारी जी की प्रतिमा किसी ने बनाया नहीं अपितु बिहारी जी की यह प्रतिमा श्री स्वामी हरिदास जी के द्वारा संगीत साधना से प्रकट की गई है। कहते हैं। श्री बांके बिहारी जी की प्रतिमा एक मूरत नहीं वह साक्षात श्री कृष्णा भगवन श्री राधा रानी के साथ उपस्थित है हर रोज ना जाने कई चमत्कार होते हैं। सभी भक्तों के साथ – कहते हैं उन्हें देखने के लिए सिर्फ नेत्र ही काफी नहीं है उनके दर्शन के लिए प्रेम भाव होना चाहिए। ..

श्री बाँकेबिहारी जी का संक्षिप्त इतिहास
श्रीधाम वृन्दावन, यह एक ऐसी पावन भूमि है, जिस भूमि पर आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। ऐसा आख़िर कौन व्यक्ति होगा जो इस पवित्र भूमि पर आना नहीं चाहेगा तथा श्री बाँकेबिहारी जी के दर्शन कर अपने को कृतार्थ करना नहीं चाहेगा। यह मन्दिर श्री वृन्दावन धाम के एक सुन्दर इलाके में स्थित है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत १९२१ के लगभग किया गया।
- – वृंदावन में भगवान कृष्ण और राधारानी के एकाकार रूप का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे बांके बिहारी जी के मंदिर के नाम से जाना जाता है

वृंदावन में भगवान कृष्ण और राधारानी के एकाकार रूप का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे बांके बिहारी जी के मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस पावन मंदिर में काफी संख्या में देश- विदेश से भक्त दर्शन करने आते हैं।
2. – स्वामी हरिदास ने भगवान कृष्ण और राधारानी के एकाकार रूप को बांके बिहारी का नाम दिया था

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बांके बिहारी की प्रतिमा को बनाया नहीं गया है। यह प्रतिमा स्वामी हरिदास जी के अनुरोध पर प्रकट हुई थी।

ऐसा कहा जाता है कि ये प्रतिमा लकड़ी की है। स्वामी हरिदास ने भगवान कृष्ण और राधारानी के एकाकार रूप को बांके बिहारी का नाम दिया था।
3. – बांके बिहारी किसी भक्त के साथ न चले जाएं, इसलिए किसी भी भक्त को लगातार दर्शन करने नहीं दिए जाते हैं

बांके बिहारी मंदिर में बांके बिहारी जी के दर्शन लगातार नहीं होते हैं। थोड़ी- थोड़ी देर में पर्दा लगाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर बांके बिहारी जी की किसी भक्त पर कुछ देर तक नजर पड़ गई तो वो उस भक्त के साथ ही हमेशा- हमेशा के लिए चले जाएंगे।
इसलिए थोड़ी- थोड़ी देर में पर्दा लगा दिया जाता है। इसके पीछे कई कथा भी प्रचलित है। कथा के अनुसार कई बार बांके बिहारी अपने किसी भक्त के साथ चले जा चुके है और इस मंदिर से प्रतिमा गायब हो गई थी।
4. – मंदिर में थोड़ी- थोड़ी देर में पर्दा लगाया जाता है-

धार्मिक कथाओं के अनुसार बांके बिहारी जी की प्रतिमा यहां से गायब होने के बाद यहां के पुजारियों ने भगवान से काफी प्रार्थना की, जिसके बाद बांके बिहारी जी की प्रतिमा इस मंदिर पर पुन: स्थापित हुई। तब से किसी भी भक्त को बांके बिहारी जी को लगातार देखने नहीं दिया जाता है। मंदिर में थोड़ी- थोड़ी देर में पर्दा लगाया जाता है।
बिहारी जी के ना जाने कितने ऐसे चमत्कार है जो आज भी कितने संतो और भक्तो की मुख से सुनाने को मिलता है जो भी उनके चमत्कारों को और उनकी कृपा के बारे में सुनता है वो फिर खुद को रोक नहीं पता उनके दर्शन करने से | जो भी एक बार बांके बिहारी जी के दर्शन कर लेता है फिर तो वो हर बार खुद ही खींचा चला आता है वो हमारी सभी सच्ची इच्छा को पूरी करते है।

banke bihari temple vrindavan time table
Aarti | Summer(after Holi) | Winter(after Diwali) |
Darshan Time in Morning Shringar Aarti RajBhog Aarti Darshan time in Evening Shayan Aarti | 07.45 a.m to 12.00 p.m 08.00 a.m 12.00 p.m 05.30 p.m to 09.30 p.m 09.30 p.m | 08.45 a.m to 1.00 p.m 09.00 a.m 01.00 p.m 04.30 p.m to 08.30 p.m 08.30 p.m |